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आयुष्मान भारत योजना में हरियाणा की स्थिति चिंताजनक, कुमारी सैलजा का आरोप – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के नाम पर जनता को गुमराह कर रही सरकार

India News (इंडिया न्यूज), Kumari Selja : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना में हरियाणा की स्थिति चिंताजनक है, इस योजना के तहत सूचीबद्ध निजी अस्पतालों को जहां 15 दिन में बिलो का भुगतान मिल जाना चाहिए था वहां इन्हें अब पांच माह से भुगतान ही नहीं मिला है, भुगतान न होने पर निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड पर गरीब रोगियों का इलाज बंद कर चुके है और वीरवार से प्रदेश में इलाज फिर से बंद कर दिया गया है। उनके द्वारा लोकसभा में रखे गए प्रश्र के जवाब से साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। चिकित्सा दावों के निपटान और अस्पतालों को समय पर भुगतान में सुधार की आवश्यकता है।

अस्पतालों को समय पर भुगतान में सुधार की आवश्यकता

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने लोकसभा में पूछे गए अपने प्रश्न के उत्तर के आधार पर कहा कि आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) के तहत हरियाणा में कार्यान्वयन के आंकड़े दिखाते हैं कि योजनाओं की पहुंच के बावजूद चिकित्सा दावों के निपटान और अस्पतालों को समय पर भुगतान में सुधार की आवश्यकता है। केंद्र सरकार की ओर से  प्रतापराव जाधव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री की ओर से सवाल के जवाब के अनुसार हरियाणा में अब तक 1.35 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं।  

राज्य के भीतर के अस्पतालों को 15 दिन में और राज्य के बाहर के अस्पतालों को 30 दिन में भुगतान होना चाहिए

26.25 लाख अस्पताल में भर्ती की मंजूरी दी गई है, जिनका मूल्य लगभग 3,990 करोड़ रुपये है।  केंद्र सरकार ने योजना के आरंभ से लेकर वित्त वर्ष 2024-25 तक हरियाणा को 607.73 रुपये करोड़ जारी किए हैं। योजना का खर्च केंद्र और राज्य सरकार के बीच 60:40 अनुपात में बांटा जाता है। कुमारी सैलजा ने कहा कि योजना का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है, लेकिन अस्पतालों को दावों का भुगतान समय पर न होना चिंता का विषय है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के नियमों के अनुसार, राज्य के भीतर के अस्पतालों को 15 दिन में और राज्य के बाहर के अस्पतालों को 30 दिन में भुगतान होना चाहिए। वास्तविकता में इसमें देरी मरीजों और अस्पतालों दोनों के लिए समस्याएं पैदा करती है।

अधिकतर निजी अस्पतालों को अप्रैल माह से भुगतान नहीं किया जा रहा

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में इस योजना के तहत 675 निजी अस्पताल सूचीबद्ध है। इस योजना के तहत सरकार को 15 दिन के अंतराल पर निजी अस्पतालों को बिलों का भुगतान करना होता है। पर सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है। लेकिन सरकार अस्पतालों के दावों का समयबद्ध निपटान नहीं कर पा रही है। अधिकतर निजी अस्पतालों को अप्रैल माह से भुगतान नहीं किया जा रहा है अब तक निजी अस्पताल संचालकों का करीब 500 करोड़ रुपये की राशि बकाया है।

बकाया राशि के भुगतान को लेकर सात अगस्त से आयुष्मान कार्ड पर इलाज बंद कर दिया गया है जिससे मरीजों में हड़कंप मचा हुआ है। सांसद ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का बजट ही सरकार ने पिछले साल से करीब 622 करोड़ रुपये कम रखा हैै जिसमें सरकार हर जिला में मेडिकल कालेज खोलने की बात कर रही है, एक मेडिकल कालेज के भवन निर्माण पर ही करीब 1000 करोड़ का खर्च आता है। सरकार को आयुष्मान योजना के बजट का भी ध्यान रखना चाहिए था।

वे इस विषय को आगे भी सदन और सार्वजनिक मंचों पर उठाती रहेंगी

कुमारी सैलजा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि योजना के लाभार्थियों को पारदर्शी और सुगम प्रक्रिया में सेवाएं मिलनी चाहिए, फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्त निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए। कुमारी सैलजा ने कहा कि वे इस विषय को आगे भी सदन और सार्वजनिक मंचों पर उठाती रहेंगी, ताकि हरियाणा के गरीब और जरूरतमंद परिवारों को समय पर इलाज और आर्थिक सुरक्षा मिल सके। राज्य के भीतर के अस्पतालों को दावा प्रस्तुत करने के 15 दिन के अंदर भुगतान होना चाहिए।  राज्य के बाहर इलाज (पोर्टेबिलिटी क्लेम) की स्थिति में 30 दिन के भीतर भुगतान होना चाहिए।

नशा मुक्त गांवों में युवा नशे की चपेट में

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि सिरसा जिले का नहराना गांव जिसे सरकार के कागजों में  नशा मुक्त घोषित किया हुआ है पर हकीकत में 300 से ज़्यादा युवा नशे की चपेट में हैं और हाल ही में एक और युवक की नशे से मौत हो गई। भाजपा सरकार के नशा मुक्ति के दावे सिर्फ मंचों से भाषण, सम्मान समारोह और फाइलों तक सीमित हैं। जमीनी सच्चाई यह है कि गांव-गांव में नशा खुलेआम बिक रहा है, युवाओं की जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं, और परिवार तबाह हो रहे हैं। नशा मुक्ति केवल नारे देने से नहीं होगी, इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, ठोस कार्ययोजना और लगातार कार्रवाई की ज़रूरत है जो भाजपा सरकार में बिल्कुल भी नहीं है।

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