India News (इंडिया न्यूज), Shri Shri Ravi Shankar : लोगों को मित्र या शत्रु कहकर लेबल करना उचित नहीं है। बस एक बात याद रखिए अगर आपका समय अच्छा चल रहा है, तो आपका सबसे बड़ा शत्रु भी आपकी मदद करने आएगा और अगर समय खराब है, तो आपका सबसे अच्छा मित्र भी शत्रु जैसा व्यवहार करेगा। दो प्रकार के लोग नहीं होते, बस समय होता है। इसीलिए संस्कृत में कहा गया है, ‘कालाय तस्मै नमः।’ समय जैसा होता है, वैसे ही हमारे अनुभव इस संसार में होते हैं।
समय लोगों की समझ और व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अपने चारों ओर देखिए, स्वयं को देखिए। आपके विचार और दृष्टिकोण भी वर्षों में बदले हैं। आप वह व्यक्ति नहीं हैं जो पाँच साल पहले थे। जब हम लोगों के शब्दों और कर्मों को अधिक महत्व देते हैं, तो हम अपनी खुशी दूसरों के हाथ में दे देते हैं। शब्द और व्यवहार कभी भी बदल सकते हैं। इसलिए अपनी खुशी को दूसरों की बातों या बर्ताव से जोड़ना समझदारी नहीं है।
कभी-कभी आप स्वयं भी ऐसी बातें कह देते हैं जिनका वास्तव में कोई मतलब नहीं होता। सोचिए, अगर लोग उन्हीं बातों को पकड़ कर बैठ जाएँ और आपके भीतर छिपे भाव को न समझें – तो कैसा लगेगा? अच्छा तो नहीं लगेगा। आप चाहेंगे कि लोग आपके शब्दों के पार भी आपको समझें, लेकिन क्या आप दूसरों के लिए ऐसा करते हैं? बहुत कम। आप दूसरों के कहे शब्दों को वर्षों तक सीने से लगाए रखते हैं। क्या पता उन्होंने जो कहा, वह उनका मतलब ही न रहा हो। माँ अक्सर कहती है, “चले जा यहां से!” पर सोचिए, अगर बच्चा सच में चला जाए तो उस माँ की क्या हालत होगी?
लोगों को मित्र या शत्रु की श्रेणी में डालने की बजाय, सकारात्मक तरंगें उत्पन्न करना ज्यादा बुद्धिमानी है। अपने स्वभाव में मैत्रीपूर्ण बनें। क्या आप किसी चिड़चिड़े व्यक्ति के साथ काम करना चाहेंगे? या किसी अहंकारी, कठोर व्यक्ति के साथ रहना चाहेंगे? आप स्वयं से पूछिए – क्या ये गुण आपके अंदर हैं? क्या आप चिड़चिड़े हैं? क्या आपमें अहंकार है? क्या आप दूसरों से कठोरता से पेश आते हैं? दूसरों को देखने से पहले स्वयं को देखना बेहतर है।
हम शब्दों से कम, और अपनी तरंगों से कहीं अधिक संप्रेषण करते हैं। मैं यहाँ बैठकर दो घंटे प्रेम पर प्रवचन दे सकता हूं। शांति के बारे में ऊँची आवाज़ में बोल सकता हूं। लेकिन मैं आपको बताता हूँ, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। असर इस बात का पड़ता है कि हम वास्तव में क्या हैं।
प्रेम पर दो घंटे का भाषण उस तीस सेकंड के सामने कुछ नहीं जब आपका पालतू कुत्ता दौड़कर आपके पास आता है। आप तुरंत प्रेम अनुभव करते हैं। आप सिर्फ एक शिशु को देखकर ही प्रेम से भर जाते हैं। ऐसे भावनाओं को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता, इन्हें महसूस किया जाता है। इसलिए हमारा होना, हमारी तरंगें, हमारी बातों से कहीं ज्यादा मायने रखती हैं।
सच्चा संवाद तरंगों के माध्यम से होता है। हम अपने विचार और भावनाएं अपनी उपस्थिति के द्वारा प्रकट करते हैं, न कि केवल शब्दों से। फिर भी, हम दूसरों की कही गई बातों को पकड़कर कई बार अपनी मित्रता को खराब कर देते हैं। क्या ऐसा करने से आपके रिश्ते नहीं बिगड़े? बस जीवन को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखिए। किसी घटना के परे ज्ञान है, किसी वस्तु के परे अनंतता है, और किसी व्यक्ति के परे प्रेम है।
हम शब्दों के पार देख नहीं पाते। और जो लोग केवल शब्दों से जुड़े होते हैं, उनकी मित्रता गहरी नहीं होती। हमें अपनी तरंगों को परिष्कृत करना नहीं सिखाया गया है। यहीं पर आध्यात्मिकता काम आती है। ध्यान, सेवा, श्वास की क्रियाएँ- ये सब आपके कंपन को सकारात्मक बनाती हैं; आपको घृणा से प्रेम की ओर, निराशा से आशा की ओर, कुंठा से आत्मविश्वास की ओर ले जाती हैं। जब आपकी तरंगें सकारात्मक होती हैं, तो मित्रता अपने आप खिलने लगती है।
LONDON, Dec 19 (Reuters) - British trade minister Chris Bryant said the government had been…
VIDEO SHOWS: ANTHONY JOSHUA AND JAKE PAUL CEREMONIAL WEIGH IN. SOUNDBITE FROM JOSHUA AND PAUL.…
Some people claim that without Coca-Cola, there would be no Santa Claus as we know…
Surat (Gujarat) [India], December 18: The Southern Gujarat Chamber of Commerce & Industry (SGCCI), in…
Surat (Gujarat) [India], December 16: White Lotus International School proudly hosted its grand annual function,…
LONDON, Dec 18 (Reuters) - Disney unit Lucasfilm on Thursday won its bid to throw…