India News (इंडिया न्यूज), Mahipal Dhanda : कुरुक्षेत्र पहुंचे शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस दौरान मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से गीता को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने कि उन्होंने सराहना की। उन्होंने कहा कि साथ ही कहा कि कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया है, मैं समझता हूं कि भगवान के द्वारा बोले गए महावाक्यों, महा श्लोकों को भी जो लोग चुनौती देते हैं, वे जिंदगी के सबसे अल्प बुद्धि वाले लोग हैं।
निर्णय लिया गया था कि हम लोग गीता को पाठ्यक्रम में लागू करेंगे
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तो रामविलास शर्मा शिक्षा मंत्री बने थे, उस दौरान विधानसभा में निर्णय लिया गया था कि हम लोग गीता को पाठ्यक्रम में लागू करेंगे, उसी समय से नैतिक शिक्षा में छठी सातवीं के लिए एक बुक, नवमी दशमी के लिए एक बुक और दसवीं के लिए एक बुक और 11वीं 12वीं के लिए एक बुक, ऐसा बच्चों की उम्र, उसकी समझ के अनुसार, श्लोकों को नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है।
यही नहीं रामायण और दूसरे भी जो धार्मिक बुक्स है, उनमें से प्रेरक प्रसंगों, जिसे पढ़ने के बाद हमारे बच्चे जीवन में अपनाकर अपनी समृद्धि के रास्ते खोले और संस्कारों से युक्त होकर इस देश की तरक्की, प्रगति और उन्नति मैं बढ़ावा दे और सहयोगी भी बने।
ज्ञान के रास्ते कभी बंद नहीं होते
शिक्षा मंत्री ने कहा कि ज्ञान ज्ञान है, ज्ञान के रास्ते कभी बंद नहीं होते, यह बहुत व्यापक है, हमारे यहां तो इतनी स्वतंत्रता है कि गीता में भी और सभी धार्मिक ग्रंथो में भी जो जितना उड़ना चाहे उड़े, जो जितनी खोज करना चाहे करें, जो अपने आध्यात्मिक जीवन को जितना व्यापक और समृद्ध बनाना चाहे बनाए।