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हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने को लेकर हरकत में आया प्रशासन, यमुना के साथ लगते गांव के लोगों से यमुना की तरफ ना जाने की अपील

हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने को लेकर उपमंडल प्रशासन भी अब हरकत में आ गया है, उपमंडल अधिकारी अमित कुमार ने इस स्थिति में बिलासपुर, हथवाला, राक्सेड़ा, सिंबलगढ़ व यमुना के साथ लगते अन्य गांव वासियों को यमुना नदी की ओर न जाने की अपील की है।

Written By: Anurekha Lambra
Last Updated: August 31, 2025 22:03:50 IST

India News (इंडिया न्यूज), Panipat News : हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने को लेकर उपमंडल प्रशासन भी अब हरकत में आ गया है, उपमंडल अधिकारी अमित कुमार ने इस स्थिति में बिलासपुर, हथवाला, राक्सेड़ा, सिंबलगढ़ व यमुना के साथ लगते अन्य गांव वासियों को यमुना नदी की ओर न जाने की अपील की है।

  • वर्ष 2012-13 में भी यमुना का जल स्तर बढ़ने के कारण कई गांव के किसानों की फसल हुई थी बर्बाद

कोई भी व्यक्ति अपनी जान जोखिम डालने का काम न करें

उपमंडल अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि जहां हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, निश्चित रूप से इससे यमुना में पानी का उफान बढ़ता जा रहा है। उन्होंने उपरोक्त गांव के लोगों को कहा है कि वह न तो वहां पर पशुओं को नहलाने के लिए, और न ही खुद नहाने के लिए जाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपनी जान जोखिम डालने का काम न करें। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की वहां पर खेती की जमीन है वह वहां पर भी न जाए, क्योंकि अगर वहां पर ज्यादा पानी का बहाव आ जाता है तो इस स्थिति में वह कुछ नहीं कर सकते। उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति प्रशासन की इस अपील को समझे, कोई भी व्यक्ति इस अपील को नजर अंदाज न करें। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से निरंतर यमुना नदी के साथ के गांव में कर्मचारी और अधिकारी दौरा भी कर रहे हैं।

राक्सेड़ा गांव के आसपास भी पानी का जलस्तर घंटों के हिसाब से बढ़ रहा

उन्होंने लोगों से यह भी कहा है कि अगर कहीं पर यमुना का ज्यादा पानी आता नजर आता है तो वह तुरंत प्रभाव से प्रशासन को सूचित करें, क्योंकि प्रशासन का कर्तव्य बनता है कि इस स्थिति में वह हर व्यक्ति की सुरक्षा करने का काम करें। हथवाला और बिलासपुर के अलावा राक्सेड़ा गांव के आसपास भी पानी का जलस्तर घंटों के हिसाब से बढ़ रहा है, कुल मिलाकर अगर यही स्थिति रही तो निश्चित रूप से लोगों की खेती तो बह जाएगी, लेकिन लोगों को स्थिति में अपना मानसिक संतुलन नहीं होना है, क्योंकि जान है तो जहान है, मनुष्य की जान सुरक्षित है तो वह कोई भी कार्य कर सकता है, इसलिए सभी गांव वासी प्रशासन की इस अपील को जरूरी अपील समझकर उस पर अमल करें।

अबकी बार भी उनकी खेती को खतरा हो सकता है…

यह भी बताने योग्य है कि वर्ष 2012-13 में यमुना का जल स्तर बढ़ गया था और इस जल स्तर बढ़ने के कारण कई गांव के लोगों की खेती इसकी चपेट में आ गई थी, इसमें हथवाला, राक्सेड़ा, सिंबलगढ़, घोड़ी वाला व अन्य गांव शामिल थे, लोगों को फिलहाल भी डर लग रहा है की कहीं पानी का जिस तरह से जलस्तर घंटों के हिसाब से बढ़ रहा है अगर इसी तरह से पानी का जलस्तर बढ़ता रहा तो निश्चित रूप से अबकी बार भी उनकी खेती को खतरा हो सकता है।

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