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कांग्रेस सांसद ने सरकार पर साधा निशाना, कहा – बैंकों की मनमानी और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता से हुई परेशान, जन-धन योजना खाता धारकों की बढ़ेगी दिक्कतें

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों में जनकल्याण कम और जन उत्पीड़न और शोषण अधिक दिखाई देता है। बैंकों की मनमानी और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता परेशान हो रही है। जन धन योजना के नाम पर गरीब, मजदूर, किसानों और आम नागरिकों के खाते तो खुलवाए गए, पर अब बैंकों के नए आदेश के अनुसार खाते में 10 हजार रुपये की न्यूनतम राशि रखनी होगी। जो एक प्रकार से जनता के खून-पसीने की कमाई को बैंकों के पास फ्री में गिरवी रखने जैसा है। सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए अपनी इस नीति में बदलाव करना चाहिए।

Written By: Anurekha Lambra
Last Updated: August 14, 2025 16:51:47 IST

India News (इंडिया न्यूज), Kumari Selja : सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियों में जनकल्याण कम और जन उत्पीड़न और शोषण अधिक दिखाई देता है। बैंकों की मनमानी और केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता परेशान हो रही है। जन धन योजना के नाम पर गरीब, मजदूर, किसानों और आम नागरिकों के खाते तो खुलवाए गए, पर अब बैंकों के नए आदेश के अनुसार खाते में 10 हजार रुपये की न्यूनतम राशि रखनी होगी। जो एक प्रकार से जनता के खून-पसीने की कमाई को बैंकों के पास फ्री में गिरवी रखने जैसा है। सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए अपनी इस नीति में बदलाव करना चाहिए।

वादा केवल एक जुमला साबित हुआ

मीडिया को जारी बयान में सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए थे, जिनमें सबसे चर्चित वादा था कि विदेशों में जमा काले धन को वापस लाकर हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपये जमा कराए जाएंगे। लेकिन आज, दस साल बाद, यह वादा केवल एक जुमला साबित हुआ। देश और विदेश से हो रही सारी कमाई पूंजीपतियों की तिजोरी में जा रही है जबकि गरीब वहीं के वहीं खडा हुआ है, सरकार की नीतियों ने उसके पैरों में बेडियां डाल रखी है। 

बैंकों की यह कार्यप्रणाली न केवल अमानवीय है, बल्कि यह वित्तीय शोषण का स्पष्ट उदाहरण

जन धन योजना के नाम पर गरीब, मजदूर, किसानों और आम नागरिकों के खाते तो खुलवाए गए, पर अब बैंकों द्वारा इन्हीं खातों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। विभिन्न बैंकों में खाताधारकों को बिना ब्याज के 10,000 से 50,000 रुपये तक की राशि रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

यह एक तरह से जनता के खून-पसीने की कमाई को बैंकों के पास फ्री में गिरवी रखने जैसा है। बैंकों की यह कार्यप्रणाली न केवल अमानवीय है, बल्कि यह वित्तीय शोषण का स्पष्ट उदाहरण है। केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि क्या यही था जन धन योजना का असली उद्देश्य? क्या जनता को राहत देने के बजाय उन पर आर्थिक बोझ डालना, भाजपा सरकार की नई नीति है?  

बैंकों की इस अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए

सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि बैंकों की तरफ से मनमाने न्यूनतम बैलेंस पर किसी तरह की रोक लगाने से रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने इनकार किया है। बैंक बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि तय करने के लिए स्वतंत्र हैं और यह आरबीआई के नियामक अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

सांसद सैलजा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि बैंकों की इस अनैतिक नीति पर तुरंत रोक लगाई जाए, गरीब व मध्यमवर्गीय खाताधारकों को बिना ब्याज उनकी जमा राशि से वंचित करने पर कठोर कार्रवाई हो और वर्ष  2014 में किए गए वादों पर सरकार देश के सामने स्पष्ट जवाब दे। कुमारी सैलजा ने कहा कि देश की जनता मूर्ख नहीं है। भाजपा के जुमले अब उजागर हो चुके हैं, और आने वाले समय में जनता इसका जवाब जरूर देगी।

लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंट रहा है सत्ता पक्ष

सांसद कुमारी सैलजा ने देश के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि यह दिन हमें हमारे संविधान, लोकतंत्र और संसदीय मर्यादा की रक्षा का संकल्प दिलाता है। सांसद ने कहा कि आज जब सत्ता पक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों का गला घोंटने का प्रयास कर रहा है, तब हमें सतर्क रहना होगा। वोट काटना देशद्रोह से कम नहीं, क्योंकि इससे संविधान और जनहित दोनों पर चोट होती है। हम सब मिलकर संविधान को बचाने, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आगे आए और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वतंत्रता की असली भावना को बनाए रखने का संकल्प लें।

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