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बैकफायर कर गई है ट्रंप की ‘टैरिफ’ पॉलिसी, नहीं दे पा रहे नौकरी, खुली ऐसे पोल

US job market crisis: अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने मार्च तक के 12 महीनों में पूर्व अनुमान की तुलना में संभवतः 911,000 कम नौकरियां पैदा की हैं, बता दें कि ये रिपोर्ट ट्रंप द्वारा भारत समेत कई देशों पर टैरिफ़ लगाने की रणनीति अपनाने के बाद सामने आई हैं।

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 9, 2025 21:36:35 IST

US Layoffs: अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने मार्च तक के 12 महीनों में पूर्व अनुमान की तुलना में संभवतः 911,000 कम नौकरियां पैदा की हैं, सरकार ने मंगलवार को कहा, जिससे यह संकेत मिलता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा आयात पर आक्रामक टैरिफ लगाने से पहले ही नौकरियों की वृद्धि रुक ​​गई थी।

अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि श्रम विभाग का श्रम सांख्यिकी ब्यूरो अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक रोज़गार के स्तर को 400,000 से 10 लाख नौकरियों तक कम कर सकता है। मार्च 2024 तक के 12 महीनों के लिए रोज़गार के स्तर में 598,000 नौकरियों की कमी पाई गई थी।

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अमेरिका में पड़ गए जॉब के लाले, उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी दर

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद पिछले 7 महीनों में रोजगार बाजार की हालत बेहद कमज़ोर हो चली है। नई नौकरियों का सृजन लगभग थम सा गया है और महंगाई फिर से सिर उठाने लगी है। शुक्रवार को जारी अगस्त महीने की रोज़गार रिपोर्ट से पता मालूम चला है कि जो बीते 4 सालों में सबसे अत्यधिक है। बता दें कि ये रिपोर्ट ट्रंप द्वारा भारत समेत कई देशों पर टैरिफ़ लगाने की रणनीति अपनाने के बाद सामने आई हैं।

ट्रंप अपने वादों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं

रिपोर्ट के मुताबिक, जून में अमेरिका में तकरीबन 13,000 नौकरियां खत्म हो गईं, जो दिसंबर 2020 के बाद पहली मासिक गिरावट है। कारखानों और निर्माण क्षेत्र में भी  नौकरियां कम हुई हैं। जबकि, अप्रैल में, डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनकी टैरिफ नीति से नौकरियाँ और कारखाने वापस आ जाएँगे, लेकिन तब से विनिर्माण क्षेत्र में 42,000 और निर्माण क्षेत्र में 8,000 नौकरियाँ चली गई हैं। ट्रंप ने यह भी वादा किया था कि 2024 में उनकी नीतियाँ अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगी। लेकिन हकीकत में अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है। ट्रंप ने तेल को ‘तरल सोना’ बताते हुए दावा किया था कि यह देश को समृद्ध बनाएगा, लेकिन तेल और गैस क्षेत्र में भी 12,000 नौकरियाँ चली गई हैं।

महंगाई ने बढ़ाई सरकार की चिंता

ट्रंप ने अपने पहले दिन से ही मुद्रास्फीति को समाप्त करने और बिजली की कीमतों को आधा करने का वादा किया था। लेकिन अप्रैल में 2.3 प्रतिशत की वार्षिक मुद्रास्फीति दर जुलाई में बढ़कर 2.7 प्रतिशत हो गई। इस साल बिजली की कीमतों में भी 4.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ट्रंप की टैरिफ नीति ने वॉलमार्ट और प्रॉक्टर एंड गैंबल जैसी कई कंपनियों को कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। ट्रंप ने खराब आर्थिक आंकड़ों के लिए फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि अगर ब्याज दरें कम की जातीं, तो नौकरियां बढ़तीं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों में इतनी जल्दी कटौती करने से मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है। 

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