Child Psychiatry
Child Psychiatry Latest Update: मनोरोग की समस्या बेहद गंभीर है और इससे कोई भी पीड़ित हो सकता है। इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि इन्हें पहचानना भी मुश्किल होता है। कई बार स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है। मनोरोग की समस्या से ना केवल सामान्य जीवन प्रभावित होता है, बल्कि अन्य तरह की शारीरिक और मानसिक समस्या भी आती है। अब विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सिर्फ 3 वर्ष की उम्र से ही बच्चे ऐसे लक्षण दिखा सकते हैं जो उन्हें आगे चलकर मनोरोगी बना सकते हैं। इस स्टोरी में हम आपको बताएं मनोरोग से जुड़ी हर समस्या और निवारण के बारे में।
विशेषज्ञों का कहना है कि मनोरोग एक व्यक्तित्व विकार है, जिसमें लोगों में सहानुभूति की कमी होती है। ये लोग अमूमन असामान्य व्यवहार करते हैं। इसके अलावा हानिकारक और आपराधिक व्यवहार भी कर सकते हैं। ऐसे में मनोरोगी के परिवार के सदस्यों को भी चाहिए कि वह अलर्ट रहें। नामी वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर एस्सी विडिंग ने अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है कि कैसे बहुत छोटे बच्चों में कुछ खास व्यवहार उन्हें मनोरोग नामक स्थिति के विकास के उच्च जोखिम में डाल सकते हैं।
प्रोफ़ेसर एस्सी विडिंग का यह भी कहना है कि इस शोध का मतलब यह नहीं है कि कुछ खतरनाक लक्षणों वाले बच्चे निश्चित रूप से बड़े होकर खतरनाक मनोरोगी बन जाएंगे, लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है. शुरुआती चेतावनी के संकेतों की पहचान करना जरूरी है, साथ अगर ध्यान न दिया जाए तो समस्याएं दिक्कत बढ़ा सकती हैं। यह व्यवहार एक ‘शरारती बच्चे’ के सामान्य व्यवहारों से अलग होता है. जैसे कि नखरे दिखाना या दोस्तों के साथ अपनी बातें साझा न करना। कुछ लक्षणों में जब ये दूसरों को चोट पहुंचाते हैं तो उन्हें बुरा नहीं लगता। अपने किए को मिलने वाली सज़ा से जोड़ने में उन्हें दिक्कत होती है और दूसरों को खुश करने में उन्हें मज़ा नहीं आता।
प्रोफ़ेसर एस्सी विडिंग का कहना है कि अगर कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे को मारता है और उसका खिलौना छीन लेता है, तो ज़्यादातर बच्चे दूसरे बच्चे को रोता देखकर दोषी महसूस करेंगे, लेकिन इन बच्चों को ऐसा नहीं लगेगा। शोधकर्ताओं ने 3 साल की उम्र से ही दिखने वाले 3 प्रमुख लक्षणों का पता लगाया है, जो किसी व्यक्ति को मनोरोगी व्यवहार की ओर ले जा सकते हैं. एस्सी विडिंग और उनकी टीम द्वारा ‘रिस्टोरेटिव न्यूरोलॉजी एंड न्यूरोसाइंस’ पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से यह भी पता चला है कि ये मनोरोगी लक्षण पारिवारिक जीनों से काफी प्रभावित थे।
यहां पर बता दें कि बच्चों की शुरुआती पहचान का मतलब यह नहीं है कि आप निश्चित रूप से यह अनुमान लगा सकते हैं कि कोई वयस्क मनोरोगी बन जाएगा, लेकिन इन बच्चों में अपने साथियों की तुलना में जोखिम अधिक होने की संभावना है। शोध में यह भी दावा किया गया है कि कोई भी व्यक्ति जन्म से मनोरोगी नहीं होता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनकी आनुवंशिक संरचना के कारण उनमें दूसरों की तुलना में मनोरोग होने का जोखिम अधिक होता है।
शोधकर्ताओं ने तीन प्रमुख लक्षणों का पता लगाया है जो मनोरोग के विकास का कारण बन सकते हैं, साथ ही यह भी बताया है कि माता-पिता बच्चों में इस लक्षण को पहचान कर इसे रोक सकते हैं। इसमें सबसे जरूरी है कि स्नेहपूर्ण और प्रेमपूर्ण पालन-पोषण करना. अध्ययनों से पता चला है कि गोद लिए गए बच्चे, जिनके जीन अपने नए माता-पिता से साझा नहीं होते।
VMPLNew Delhi [India], September 19: Inside the heart of Delhi, one finds a spacious precinct…
Palghar (Maharashtra) [India], September 19 (ANI): One person died and four others have been injured…
New Delhi [India] September 19 (ANI): Agriculture Minister Shivraj Singh Chouhan held a meeting with…
New Delhi [India], September 19 (ANI): The defending champions, Team Europe, will be aiming to…
New Delhi [India], September 19 (ANI): Following Rahul Gandhi's fresh "vote theft" allegations, Congress leader…
BusinessWire IndiaHyderabad (Telangana) [India], September 19: Sai Life Sciences (BSE: 544306 | NSE: SAILIFE), an…