Live
ePaper
Search
Home > Religion > Vishwakarma Puja 2025 Date : कब मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा? जानिए पूजा विधि और महत्व!

Vishwakarma Puja 2025 Date : कब मनाई जाएगी विश्वकर्मा पूजा? जानिए पूजा विधि और महत्व!

Vishwakarma Puja 2025 Date : विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाएगी 16 या 17. ये दिन श्रम, तकनीक और निर्माण कार्यों में लगे लोगों के लिए विशेष होता है. भगवान विश्वकर्मा की पूजा के साथ मशीनों और औजारों की भी पूजा की जाती है, ताकि कार्य में सफलता और समृद्धि बनी रहे.

Written By: Sanskriti jaipuria
Last Updated: September 10, 2025 16:54:09 IST

Vishwakarma Puja 2025 Date : भारत एक ऐसा देश है जहां न केवल देवी-देवताओं की पूजा होती है, बल्कि अपने कार्य के साधनों और औजारों को भी देवता माना जाता है. ऐसा ही एक विशेष पर्व है विश्वकर्मा पूजा, जो श्रमिकों, इंजीनियरों, कारीगरों और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी होता है. इस दिन को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, बल्कि ये श्रम, कारीगरी के प्रति सम्मान भी है.

वर्ष 2025 में विश्वकर्मा पूजा(Vishwakarma Puja) 17 सितंबर को मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि इसी दिन पड़ रही है. ये तिथि 17 सितंबर की रात 12:21 बजे शुरू होगी और उसी दिन रात 11:39 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, पूजा 17 सितंबर को ही संपन्न की जाएगी.

Vishwakarma Puja 2025 Rules : कैसे करें विश्वकर्मा पूजा?  

पूजा से पहले कार्यस्थल, औजारों और मशीनों की अच्छी तरह से सफाई करें. इसके बाद स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर पूजा का संकल्प लें और पूजा सामग्री जैसे फूल, चंदन, अक्षत, रोली, धूप-दीप, मिठाई, फल और पंचामृत तैयार करें. भगवान को तिलक लगाएं, मंत्रों का जाप करें – विशेष रूप से “ॐ श्री विश्वकर्मणे नमः” – और आरती करें. पूजा के अंत में प्रसाद बांटें और सभी मशीनों व औजारों को भी तिलक कर उन्हें फूल अर्पित करें.

Vishwakarma Puja 2025 Significance : विश्वकर्मा पूजा का महत्व

भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का वास्तुकार और शिल्पी माना जाता है. उन्होंने ही स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, भगवान शिव का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र और द्वारका जैसी रचनाएं की थीं. यही कारण है कि तकनीकी और निर्माण कार्यों में लगे लोग इस दिन को विशेष श्रद्धा के साथ मनाते हैं.

ये पूजा सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि ये सिखाती है कि हर श्रम, हर कार्य और हर साधन पूजनीय है. ये दिन हमें ये भी सिखाता है कि सफलता केवल ज्ञान से नहीं, बल्कि मेहनत और साधनों के सम्मान से भी मिलती है.

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?