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कौन होते हैं Gen Z? जिन्होंने 48 घंटे में जला डाला नेपाल, KP Oli को भी कर दिया देश से बाहर

Gen Z: नेपाल इस समय जल रहा है. और इसको जलाने वाले कोई और नहीं बल्कि Gen Z के युवा हैं, क्या आप जानते हैं कि जनरेशन Z में कौन से लोग आते हैं? आज हम आपको इस खबर के माध्यम से यही बताएंगे.

Written By: Heena Khan
Last Updated: September 11, 2025 10:12:36 IST

Generation Z: भारत का पड़ोसी देश नेपाल में इस समय वो हाल है जिसे देखकर हर कोई खौफ खा जाए. संसद भवन से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक राष्ट्रपति भवन से लेकर पीएम हाउस तक पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा लिया और उसे फुंक डाला. इस आंदोलन ने धीरे-धीरे ऐसा रूप धारण किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. दरअसल, ओली सरकार के 5 मंत्रियों ने इस्तीफ़ा दे दिया और अब खुद पीएम ओली ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है. इस्तीफा ही नहीं दिया बल्कि देश छोड़कर ही भाग गए. लेकिन हालात अभी भी काबू में नहीं आया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल न जाने की सलाह दी है. आपकी जानकार के लिए बता दें कि नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को बंद कर दिया गया है.  फ़िलहाल, नेपाल में हालात के काबू में आने का इंतज़ार किया जा रहा है. इस आंदोलन के लिए जेनरेशन Z को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है. चलिए जान लेते हैं किन युवाओं को जेनरेशन Z कहा जाता है?

Gen Z से  लेकर अल्फा तक 

जानकारी के मुताबिक मिलेनियल्स या जनरेशन वाई के बाद पैदा हुए बच्चों को जनरेशन z कहा जाता है. इनके जन्म के साल को 1997 से 2012 और 2015 के अंतराल में बांटा गया है. इसके बाद की पीढ़ी को जनरेशन अल्फ़ा कहा जाता है. जनरेशन Z के बारे में कहा जाता है कि ये एक ऐसी पीढ़ी है जिसने पैदा होते ही या होश संभालते ही हाथों में फोन थाम लिया। इस पीढ़ी को लैपटॉप, आईफ़ोन जैसे गैजेट्स मिले और 5G स्पीड वाला इंटरनेट भी मिला. इन लोगों को किशोरावस्था में ही कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म तक पहूंच मिल गई.

इस वजह से भड़के Gen Z 

इसी कारण, वो अपनी पुरानी पीढ़ियों की तुलना में सबसे ज़्यादा तकनीक-प्रेमी हैं. यही वजह है कि जब नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा, तो इस पीढ़ी ने आक्रोशित रूप धारण कर लिया. इस पीढ़ी को टेक-सेवी यानी तेज़ी से तकनीक अपनाने वाली पीढ़ी भी कहा जाता है. ऑनलाइन गेमिंग, ई-कॉमर्स और डिजिटल पेमेंट उनके जीवन का एक सामान्य हिस्सा हैं. इसके अलावा, समाज में समय बिताने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर समय बिताना भी उनके जीवन का एक अहम हिस्सा है. ऐसे में, जब इन प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगी, तो नेपाल के युवा नाराज़ हो गए. नेपाल का मामला यह समझने के लिए भी काफ़ी है कि टेक कंपनियों ने हमारे जीवन में किस तरह दखल दिया है और उनके उत्पादों के बिना लोगों का जीवन मुश्किल हो सकता है.

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