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नेपाल में Gen Z प्रोटेस्ट की आग पहुंचेगी Pak? जिसमें जलकर खाक हो जाएगा ‘जिहादी जनरल’ आसिम मुनीर! जानिए वजह

Nepal Pakistan News: नेपाल में ओली का पतन सिर्फ़ पड़ोसी देश की एक राजनीतिक घटना नहीं है। यह पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है। अगर वहाँ की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई, तो पाकिस्तान के युवा रोटी और रोज़गार के मुद्दे पर सड़कों पर क्यों नहीं उतर सकते?

Written By: Ashish kumar Rai
Last Updated: September 9, 2025 19:32:02 IST

Nepal Gen Z Protests: नेपाल की पार्लियामेंट में भड़की आग और Gen Z प्रदर्शनकारियों का गुस्सा महज काठमांडू तक ही सीमित नहीं रहने वाला। ये लपटें इस्लामाबाद तक भी पहुंच सकती हैं। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली का इस्तीफा देना इस बात का प्रतीक है कि जब युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर होता है, तो सरकारें भी नहीं टिक पातीं। और यह तस्वीर अब पाकिस्तान के लिए भी खतनाक संकेत दे रही है। नेपाल में सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध ने युवाओं को सड़कों पर ला दिया। पहले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुआ, फिर गोलियां चलीं, फिर पार्लियामेंट और नेताओं के घरों में आग लगा दी गई और अंत में ओली को अपनी गद्दी छोड़ना पड़ा। 

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पाकिस्तान में भी जनता का सब्र टूटने की कगार पर 

पाकिस्तान में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। युवा पीढ़ी नेपाल की तरह ही बेहद बेचैन है। चीनी और ब्रेड के दाम आसमान छू रहे हैं। पाँच किलो आटे का पैकेट 700 रुपये में बिक रहा है। ब्रेड अब आम मज़दूर की पहुँच से बाहर हो गई है। दूसरी ओर, राजनेता विलासिता में डूबे हुए हैं। इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पहले से ही आंदोलन की राह पर है। नेपाल में जो हुआ उसने पीटीआई को एक नया हथियार दे दिया है। वे बस इमरान के इशारे का इंतज़ार कर रहे हैं। इस्लामाबाद की सड़कें फिर से धधक उठेंगी।

‘फील्ड मार्शल’ असीम मुनीर पर दबाव बढ़ेगा

पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर पहले से ही कई मोर्चों पर घिरे हुए हैं। बलूचिस्तान में सेना की नीतियों को लेकर गुस्सा है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस्लामाबाद बलूच आवाज को दबाने के लिए जिहादियों को बढ़ावा दे रहा है। क्वेटा में हुए आत्मघाती हमले ने साबित कर दिया कि सेना ने आतंकवादी संगठनों को पनपने का अवसर दे दिया है। नतीजतन बलूचिस्तान भी पाकिस्तान के लिए एक नया युद्ध का मैदान बनता जा रहा है।

अब अगर नेपाल जैसे विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान में भी शुरू हो जाते हैं, तो असीम मुनीर के लिए हालात और मुश्किल हो जाएँगे। इमरान खान के समर्थक पहले से ही सेना के खिलाफ आक्रामक हैं। आर्थिक तंगी और राजनीतिक अस्थिरता के बीच अगर युवा भड़क उठे, तो यह आंदोलन सेना को भी झुका सकता है।

जनता की हालत दयनीय है, कभी भी बगावत हो सकती है

पाकिस्तान की जनता दोहरी मार झेल रही है। एक तरफ बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं ने जनजीवन को तबाह कर दिया है, तो दूसरी तरफ महंगाई ने जीना मुश्किल कर दिया है। रोटी, चीनी, घी… हर चीज़ के दाम आसमान छू रहे हैं। बेरोजगारी और विदेशी कर्ज ने हालात और बदतर कर दिए हैं।

ऐसे माहौल में नेपाल से आई तस्वीरें पाकिस्तान के युवाओं को संदेश दे रही है कि अगर वे एकजुट हो जाएं, तो किसी भी सरकार का बोरिया-बिस्तर बंधवा सकते हैं। यही सबसे बड़ा डर है जो इस्लामाबाद में बैठे आसिम मुनीर को सताने लगा है।

क्या नेपाल की घटना उत्प्रेरक बनेगी?

नेपाल में ओली का पतन सिर्फ़ पड़ोसी देश की एक राजनीतिक घटना नहीं है। यह पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी है। अगर वहाँ की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई, तो पाकिस्तान के युवा रोटी और रोज़गार के मुद्दे पर सड़कों पर क्यों नहीं उतर सकते?

अगर ऐसा हुआ, तो इमरान ख़ान की पार्टी इस आग में घी डालेगी और आसिम मुनीर को इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। पाकिस्तान की राजनीति पहले से ही कमजोर बुनियाद पर खड़ी है, ऐसे में नेपाल की घटना वहां उत्प्रेरक साबित हो सकती है।

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