Nepal Gen Z protest: नेपाल में राजनीतिक संकट अब एक व्यापक हिंसक विद्रोह में बदल गया है। राजधानी काठमांडू में स्थिति बेकाबू हो गई है। देश के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने तख्तापलट के बीच इस्तीफा दे दिया है। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में जबरन घुसकर आग लगा दी, सेना के हथियार छीन लिए और सांसदों को निशाना बनाया।
नेपाल की 80% से ज़्यादा आबादी हिंदू होने के बावजूद, राजनीतिक अस्थिरता और बार-बार प्रधानमंत्री बदलने के कई कारण हैं, जिनमें सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ, क्षेत्रीय असमानताएँ, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कमज़ोर गठबंधन सरकारें, घोटालें, करप्शन औ व्यक्तिगत नेतृत्व का अभाव शामिल हैं। ये सभी कारक मिलकर राजनीतिक और प्रशासनिक अस्थिरता पैदा करते हैं, जिसके फलस्वरूप बार-बार सरकारें बदलती रहती हैं।
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प्रमुख कारण:
सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ: नेपाल में सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्ग बड़ी संख्या में हैं, जो अपनी माँगों को पूरा करने के लिए सरकार पर लगातार दबाव बनाते रहते हैं। इसी असंतोष के कारण सरकारें बदलती रहती हैं।
क्षेत्रीय असमानताएँ: नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों के आर्थिक और विकास स्तरों में भारी अंतर है। इससे क्षेत्रीय असंतोष और अलगाव की भावना पैदा होती है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता पैदा होती है।
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण: जातीय और धार्मिक समुदायों के बीच विभाजन और ध्रुवीकरण राजनीतिक अस्थिरता में योगदान करते हैं।
कमज़ोर गठबंधन सरकारें: नेपाल में अक्सर गठबंधन सरकारें बनती हैं, जो विभिन्न दलों के हितों और मांगों से बंधी होती हैं। ऐसी स्थिति में, यदि एक भी सहयोगी दल अलग हो जाता है या मतभेद हो जाते हैं, तो पूरी सरकार गिर सकती है, जिससे पीएम बदलना पड़ जाता है।
घोटाले और भ्रष्टाचार: कभी-कभी घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण भी सरकारें अलोकप्रिय हो जाती हैं, जिससे उन्हें सत्ता गंवानी पड़ती है और नए प्रधानमंत्री आते हैं।
व्यक्तिगत नेतृत्व का अभाव: कभी-कभी, राजनीतिक दलों और नेतृत्व में एक मजबूत और स्थिर नेता की कमी के वजह से भी अस्थिरता पैदा होती है।
चुनाव प्रक्रिया: नेपाल की चुनाव प्रक्रिया और विभिन्न राजनीतिक दलों की रणनीतियाँ भी सरकारें बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।