1.1K
Jamshedpur cricketer Manishi Kumar: शिक्षक केवल कक्षा की चारदीवारी तक सीमित नहीं होते, बल्कि वे जीवन के हर मोड़ पर हमें दिशा दिखाते हैं। उनकी दी हुई प्रेरणा और अनुशासन अक्सर वह आधार बनते हैं, जिस पर सफलता की पूरी इमारत खड़ी होती है। इसी सत्य को साकार किया है जमशेदपुर (Jamshhedpur) के युवा क्रिकेटर मनीषी कुमार (Manishi Kumar) ने, जिनकी हालिया उपलब्धि ने न केवल क्रिकेट जगत को चौंकाया बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा की महिमा को भी और प्रबल कर दिया।
ऐतिहासिक रिकॉर्ड की गूंज
बेंगलुरु में 28 से 31 अगस्त तक खेले गए दलीप ट्रॉफी के नॉर्थ जोन बनाम ईस्ट जोन मुकाबले में 21 वर्षीय लेफ्ट आर्म स्पिनर (left Arm Spinner) मनीषी ने इतिहास रच दिया। पहली पारी में उन्होंने अकेले दम पर छह बल्लेबाजों को एलबीडब्ल्यू (LBW) आउट कर विश्व रिकॉर्ड (world record) की बराबरी की। क्रिकेट इतिहास में यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह दुनिया के मात्र छठे गेंदबाज बने। झारखंड (Jharkhand) के इस युवा ने जिस आत्मविश्वास और सटीकता के साथ गेंदबाजी की, उसने हर किसी को प्रभावित किया।
सफलता के पीछे छिपी सीख
रिकॉर्ड बनाने के बाद भी मनीषी का पहला विचार अपने शिक्षकों के लिए सम्मान का रहा। उनका कहना था कि यह उपलब्धि सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि मेरे शिक्षकों और पूरे जमशेदपुर (jamshedpur) की है। अगर मेरे गुरुजनों ने सही मार्गदर्शन और अनुशासन की सीख न दी होती, तो मैं कभी इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाता। इस बयान से साफ झलकता है कि उनके लिए खेल का मैदान केवल प्रदर्शन का मंच नहीं, बल्कि वह जगह भी है जहां गुरुजनों की शिक्षा व्यवहार में उतरती है।
स्कूल का गर्व बना शिष्य
जमशेदपुर के DAV स्कूल, बिष्टुपुर में जब मनीषी अपने रिकॉर्ड के बाद लौटे, तो पूरा विद्यालय खुशी से झूम उठा। प्रिंसिपल प्रज्ञा सिंह ने उन्हें मिठाई खिलाकर सम्मानित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि मनीषी ने कम उम्र में जिस तरह यह रिकॉर्ड बनाया है, वह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है। हमें विश्वास है कि जल्द ही वह भारतीय टीम का हिस्सा बनेंगे।