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Agra Shoe Industry on GST Relief: उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के ताज नगरी आगरा केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर और विश्व प्रसिद्ध ताजमहल (Taj Mahal) के लिए ही नहीं, बल्कि शू इंडस्ट्री के लिए भी जानी जाती है। यहां बने जूतों की पहचान पूरी दुनिया में है। सैकड़ों छोटे-बड़े उद्योग प्रतिदिन लाखों जोड़ी जूते तैयार करते हैं, जो न केवल घरेलू बाजार बल्कि विदेशों तक पहुंचते हैं। यही वजह है कि आगरा को “भारत की शू कैपिटल” कहा जाता है।
सरकार से मिली GST से राहत
जूता उद्योग लंबे समय से जीएसटी (GST) में कमी की मांग कर रहा था। पहले जहां जूतों पर 12% जीएसटी लगाया जाता था, वहीं अब सरकार ने बड़ी राहत देते हुए इसे 7% घटाकर 5% कर दिया है। खास बात यह है कि यह राहत केवल ₹1000 तक के जूतों पर नहीं, बल्कि 2500 रुपए तक के जूतों पर लागू होगी। इससे न केवल उपभोक्ताओं को फायदा होगा बल्कि उद्योग जगत में भी नई ऊर्जा का संचार होगा।
एफमेक (एफ्मेक – Agra Footwear Manufacturers & Exporters Chamber) के अध्यक्ष पूरन डावर ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से उद्योग को बड़ा सहारा मिलेगा। घरेलू बाजार में पहले जीएसटी की अधिक दर से ग्राहक और व्यापारी दोनों परेशान थे, लेकिन अब कारोबार में नई रफ्तार आएगी और नए उद्यमियों को भी उद्योग से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
आगरा का चमड़ा उद्योग का इतिहास
आगरा का चमड़ा उद्योग सदियों पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर ने अपनी सेना के सैनिकों को जूते पहनने का आदेश दिया था। उस दौर तक सेना नंगे पांव ही युद्ध लड़ती थी। अकबर ने पूरे साम्राज्य से जूता बनाने वाले कारीगरों को आगरा बुलाया और यहां से हजारों जोड़ी जूते प्रतिवर्ष सैनिकों के लिए बनाए जाने लगे। तभी से आगरा जूता निर्माण का प्रमुख केंद्र बन गया और यह परंपरा आज तक जारी है।
जूतों का मुख्य व्यापारिक केंद्र
आज आगरा में जूतों का सबसे बड़ा बाजार हिंग की मंडी है। यहां न केवल तैयार जूते मिलते हैं बल्कि जूता बनाने से जुड़ा हर छोटा-बड़ा सामान उपलब्ध होता है। प्रतिदिन करोड़ों रुपये का कारोबार यहां होता है। यही नहीं, आगरा से घरेलू बाजार और एक्सपोर्ट दोनों के लिए हजारों जोड़ी जूते प्रतिदिन सप्लाई किए जाते हैं।