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India News (इंडिया न्यूज), Uma Bharti on Rahul Gandhi: भारतीय राजनीति में तीखी बयानबाज़ी का सिलसिला थमता नहीं है। ताज़ा उदाहरण है राहुल गांधी के उस आरोप का, जिसमें उन्होंने बीजेपी और चुनाव आयोग पर ‘वोट चोरी’ करने का आरोप लगाया। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि चुनाव आयोग नहीं, बल्कि मतदाता ही यह तय करते हैं कि किसे चुनना है और कोई भी जनादेश नहीं चुरा सकता।
राहुल गांधी को दी सीखने की नसीहत
उमा भारती ने राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस अब चुनाव जीतने की क्षमता खो चुकी है। उनके मुताबिक, जनता का दिल जीतकर ही चुनाव में सफलता मिलती है। उन्होंने व्यंग्य करते हुए यह भी कहा कि राहुल गांधी को बोलने से पहले सोचना चाहिए या फिर अपनी याददाश्त सुधारने के लिए होम्योपैथिक दवा लेनी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि वे सशस्त्र बलों का अपमान करते हैं, अनुच्छेद 370 बहाल करने की बात करते हैं और राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर देते हैं। राष्ट्रीय गौरव की हर पहल से असहमति जताकर आप जनता से खुद को दूर कर रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस का सफाया हो रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि वे सशस्त्र बलों का अपमान करते हैं, अनुच्छेद 370 बहाल करने की बात करते हैं और राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से इनकार कर देते हैं। राष्ट्रीय गौरव की हर पहल से असहमति जताकर आप जनता से खुद को दूर कर रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस का सफाया हो रहा है।
इंदिरा गांधी के दौरे का दिया उदाहरण
अपने तर्क को और मजबूत करने के लिए उमा भारती ने इमरजेंसी काल का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यह भरोसा दिलाया गया था कि लोग डरे हुए हैं और चुनाव में उन्हें ही जीत मिलेगी, लेकिन नतीजा उल्टा निकला। इससे यह साबित होता है कि अंतिम निर्णय मतदाता का होता है और कोई भी ताकत जनता के जनादेश को नहीं चुरा सकती।
ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ़
राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब देने के साथ ही उमा भारती ने हाल ही में भारतीय सेना द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की भी तारीफ़ की। उन्होंने कहा कि इस अभियान पर सवाल उठाने वाले लोग वास्तव में देश की बदनामी कर रहे हैं और राष्ट्रीय गौरव को समझने के योग्य नहीं हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को वापस लेना है और उसी दिन यह उद्देश्य पूरा होगा।