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“लापरवाही की कीमत चुकाएंगे अफसर”! योजना में देरी का खामियाज़ा – अफ़सर पर ₹10,000 का दंड”

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कार्यालय, करनाल में पाई गई गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाया है।

Written By: Anurekha Lambra
Last Updated: August 29, 2025 19:21:16 IST

प्रवीण वालिया, करनाल, India News (इंडिया न्यूज), Karnal News : हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) कार्यालय, करनाल में पाई गई गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाया है।

लाभार्थी को समय पर योजना का लाभ नहीं

आयोग ने पाया कि अधीनस्थ कार्यालय के स्टाफ और डीपीओ कार्यालय के बीच समन्वय की कमी तथा समय पर दिशा-निर्देश न देने के कारण लाभार्थी को योजना का लाभ निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराया गया। यह हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 का उल्लंघन है।

अधिकारियों की उदासीनता पर आयोग की टिप्पणी

आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अधिकारियों की उदासीनता और जवाबदेही की कमी के चलते नागरिकों को अनुचित कठिनाई झेलनी पड़ी। आयोग ने डीपीओ कार्यालय की कार्यप्रणाली को अव्यवस्थित बताते हुए कहा कि कार्यालय प्रमुख की जिम्मेदारी है कि वे समयबद्ध और प्रभावी संचालन सुनिश्चित करें।

जुर्माना और मुआवजा

आयोग ने डीओ-कम डीपीओ, करनाल को दोषी ठहराते हुए उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही, अपीलकर्ता को 5,000 रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। यह राशि सितंबर 2025 के वेतन से काटी जाएगी।

जुर्माना राज्य कोषागार में जमा होगा

मुआवजा सीधे अपीलकर्ता के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाएगा, महानिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग को 13 अक्टूबर 2025 तक अनुपालन रिपोर्ट आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं ।

योजना की राशि जमा करने और प्रशिक्षण के निर्देश

आयोग ने महानिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग को यह भी आदेश दिया है कि  अपीलकर्ता के खाते में योजना की राशि 5 सितंबर 2025 तक जमा कराई जाए फील्ड स्टाफ को ई-कुबेर प्रणाली पर व्यापक प्रशिक्षण दिया जाए ताकि भविष्य में लाभार्थियों को अनावश्यक देरी या असुविधा का सामना न करना पड़े।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर

आयोग ने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि सभी योजनाओं और सेवाओं का वितरण पूर्णतः ऑनलाइन माध्यम से किया जाए, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।

शिकायत का पृष्ठभूमि

शिकायतकर्ता, करनाल निवासी, ने आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी कि योजना का लाभ समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया। मामला 26 जुलाई 2024 को सरल पोर्टल पर दर्ज हुआ था। लाभार्थी को राशि 30 अप्रैल 2025 को प्राप्त हुई, जो तय सीमा से काफी विलंबित थी। देरी के पीछे कार्यालयीन समन्वय की कमी, सहायक स्तर पर यूनिकोड सत्यापन में विलंब और लेखाकार द्वारा बिल प्रसंस्करण में लापरवाही मुख्य कारण पाए गए।अपीलकर्ता ने आरोप लगाया कि इस देरी के कारण उसे अनावश्यक कठिनाई का सामना करना पड़ा।

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