India News (इंडिया न्यूज), Yamuna River In Spate : दो साल बाद यमुना उफान पर होने के कारण साथ लगते हरियाणा यूपी पुल के पास गांव खोजकीपुर बांध के नजदीक हथवाला घाट के अलावा गांव राकसेडा के रकबे में भूमि कटाव का कहर जारी है जिसमें बांध के पास करीब 20- 25 एकड़ व बीती रात व मंगलवार को राकसेडा रकबे में करीबन 40 एकड़ में खड़ी धान की फसल के अलावा ज्वार व अन्य सब्जियों की फसल भूमि कटाव की चपेट में आने से बर्बाद होने पर जमीन कट कर यमुना के पानी में समा गई जिससे किसानों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
नई विभाग की ओर से बांध के पास कटाव को रोकने के लिए दो जेसीबी मशीन ट्रैक्टर-ट्रॉली व एक पॉप लाइन मशीन लगाई गई है जिसमें बांध के रूप में मिट्टी का भारी भरकम ढेर लगाया गया है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को भी यमुना में पानी छोड़ गया है।
बांध बनाने के लिए एस्टीमेट बनाकर उच्च अधिकारियों के यहां भेजा गया था
ज्ञात रहें कि समालखा के गांव आट्टा के नजदीक हरियाणा यूपी पुल का मार्च 2024 में उद्घाटन होने के बाद पुल के नीचे यमुना उफान पर होने पर भूमि कटाव को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई हालांकि पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से यहां पर करीब 40 करोड़ की लागत से बांध बनाने के लिए एस्टीमेट बनाकर उच्च अधिकारियों के यहां भेजा गया था। लंबे समय के इंतजार के बाद पिछले दिनों विभाग के एसडीओ ने मंजूरी मिलने की बात कही थी। लेकिन अगस्त महीने में यमुना उफान पर होने के कारण पुल के पास गांव खोजकीपुर बांध के नजदीक भूमि कटाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है जिसकी चपेट में आने से खड़ी फसल बर्बाद होने के अलावा आहिस्ता-आहिस्ता जमीन कट कर यमुना के पानी में समा रही हैं।
उधर गांव राकसेडा रकबे पर नजर डाली जाए तो यहां पर नहरी विभाग की ओर से पुरानी ठोकर की रिपेयरिंग करने के लिए ठेका छोड़ा गया था लेकिन करीब एक साल बीत जाने के बाद ठेकेदार द्वारा काम शुरू नहीं किया गया, जिसको लेकर विभाग की ओर से ठेकेदार को कई बार काम शुरू करने के लिए कहा गया परंतु ठेकेदार टस से मस नहीं हुआ।
कटाव का कहर जारी
राकसेडा के साथ लगते गांव सिंभलगढ के सरपंच सतीश कुमार ने बताया था कि नहरी विभाग को राकसेडा रकबे में आने वाले समय में यमुना उफान को देखते हुए पांच नई ठोकर व पुरानी ठोकर की रिपेयरिंग करवाने की मांग की गई थी जिसको लेकर बाकायदा विभाग के एसडीओ व कार्यकारी अभियंता ने दौरा करके स्थिति का जायजा लिया था लेकिन इसके बाद आज तक कुछ नहीं हुआ जिसका परिणाम यह हुआ कि यमुना उफान पर होने के कारण भूमि कटाव की चपेट में 15 एकड़ मक्की व 7 एकड़ में खड़ी धान की फसल बर्बाद होने के अलावा जमीन कट कर यमुना के पानी में समा गई है फिलहाल भी कटाव का कहर जारी है।
फसल बर्बाद होने से किसानों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया
वहीं मंगलवार को गांव राकसेडा निवासी रामकिशन के मुताबिक यमुना में पानी का जल स्तर बढ़ जाने से राकसेडा रकबे में भूमि कटाव ने कहर बरपाया हुआ है जिसमें बीती रात व मंगलवार को करीब 40 एकड़ में खड़ी धान की फसल व 1 एकड़ में घीया की फसल बर्बाद होने से आहिस्ता आहिस्ता जमीन कट कर यमुना में समा गई इसमें किसान चरण सिंह की 20 एकड़ किसान लाली की 10 एकड़ नूर हसन 10 एकड़ सीतू सरदार 10 एकड़ व किसान हकीकत की 5 एकड़ धान की फसल व 1 एकड़ में घीया की फसल शामिल हैं उन्होंने बताया कि फसल बर्बाद होने से किसानों के लिए रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है और किसान काफी चिंतित हैं लेकिन यहां पर कटाव को रोकने के लिए नहरी विभाग की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया जिसको लेकर किसानों में विभाग के प्रति रोष पनप रहा है।
भूमि कटाव ने करीब 8-10 फुट कच्चे रास्ते को चपेट मे ले लिया
उधर हथवाला घाट की बगल में भूमि कटाव ने किसानों के खेतों की तरफ जाने वाले करीब 8-10 फुट रास्ते को अपनी चपेट में ले लिया सूचना मिलने पर विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। इस संबंध में नहरी विभाग के जेई प्रदीप ने बताया कि मंगलवार को यमुना में पानी छोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि गांव राकसेडा रकबे में भूमि कटाव का मामला सामने आने पर बेलदार को मौके पर भेजा गया है जिसको लेकर व्यवस्था की जाएगी। उनके एरिया में हथवाला घाट के पास भूमि कटाव ने करीब 8-10 फुट कच्चे रास्ते को चपेट मे ले लिया जिसका समाधान कर दिया गया।
यमुना के नजदीक मिट्टी का भारी भरकम ढेर लगाया गया
वहीं विभाग के जेई प्रवीन ने बताया कि उनके एरिया में हरियाणा यूपी पुल के पास गांव खोजकीपुर बांध के नजदीक यमुना उफान पर होने के कारण पिछले दो दिनों में करीब 20-25 एकड़ में खड़ी धान व अन्य फसल बर्बाद होने पर यमुना के पानी में समा गई। उन्होंने बताया कि कटाव को रोकने के लिए दो जेसीबी मशीन ट्रैक्टर-ट्रॉली व एक पॉप लाइन मशीन लगाई गई है जिसमें यमुना के नजदीक मिट्टी का भारी भरकम ढेर लगाया गया है, ताकि अन्य खड़ी फसलों को बचाया जा सके इसी के साथ स्थिति पर नजर रखी जा रही है।