Live
ePaper
Search
Home > State > Haryana > शहर के पॉश इलाके भी छतों से होकर गुजर रही ओवरहैड वॉयर्स की चपेट में, रोज़ हो रहे हादसे, कब टूटेगी बिजली निगम के अधिकारियों की नींद!!

शहर के पॉश इलाके भी छतों से होकर गुजर रही ओवरहैड वॉयर्स की चपेट में, रोज़ हो रहे हादसे, कब टूटेगी बिजली निगम के अधिकारियों की नींद!!

प्रदेश के बिजली निगमों की कार्यप्रणाली की चर्चा एक बार फिर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सनाई दी। मामला पानीपत की एक कालोनी में छत के ऊपर से जा रही ओवरहैड वायर्स की चपेट में आने से नाबालिग बच्चे के दिव्यांग होने से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए तीन सप्ताह के भीतर बिजली लाइनों के स्थानांतरण पर ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

Written By: Anurekha Lambra
Last Updated: August 14, 2025 19:39:49 IST

India News (इंडिया न्यूज), Panipat News : प्रदेश के बिजली निगमों की कार्यप्रणाली की चर्चा एक बार फिर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सनाई दी। मामला पानीपत की एक कालोनी में छत के ऊपर से जा रही ओवरहैड वायर्स की चपेट में आने से नाबालिग बच्चे के दिव्यांग होने से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने ऐसी घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए तीन सप्ताह के भीतर बिजली लाइनों के स्थानांतरण पर ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

इस प्रकार के हादसे का यह एकमात्र मामला नहीं

पानीपत में इस प्रकार के हादसे का यह एकमात्र मामला नहीं है, बल्कि इस घटना के बाद भी दर्जनों ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें बिजली निगम के लापरवाह अफसरों की कार्यप्रणाली की कीमत लोगों को अपनी जान देकर गंवानी पड़ी है। हर साल सरकार करोड़ों रुपए का बजट इन हाईटेंशन तारों को छतों के ऊपर से हटाने के लिए जारी करती है, लेकिन अधिकारी सरकार की योजनाओं को पलीता लगाते हुए कार्यप्रणाली में सुधार नहीं करते हैं। जिसका नतीजा ये रहता है कि औद्योगिक नगर पानीपत के ज्यादातर इलाकों में उच्च क्षमता की बिजली लाइनों की कालोनियों से गुजरने की  स्थिति अच्छी नहीं है।

वीआईपी सैक्टर में भी हाईवोल्टेज लाइनों की कमोबेश यही स्थिति

छोटी कालोनियों की बात तो छोडि़ए पॉश इलाके हुडा, मॉडल टाऊन, हाऊसिंग बोर्ड जैसे क्षेत्रों में भी हालात बद से बदतर है। हुडा सैक्टर-29 तथा मॉडल टाऊन क्षेत्र की कालोनियों में ऐसे हादसे होने के कई मामले सामने आ चुके हैं। हैरत की बात ये है कि हुडा सैक्टर-6 जैसे वीआईपी सैक्टर में भी हाईवोल्टेज लाइनों की कमोबेश यही स्थिति है। महिला थाने के नजदीकी क्षेत्रों में घरों से सटकर या छतों के ऊपर से बिजली की उच्च क्षमता के तारे गुजर रहे हैं, जो कभी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। इस सैक्टर में जिला का लघु सचिवालय होने के साथ-साथ जिले के बड़े-बड़े अधिकारियों की कोठियां भी हैं। ऐसे में सैक्टर की स्थिति को लेकर बिजली अधिकारियों का उदासीन रवैया समझ से परे है।

एक-दूसरे विभाग पर जिम्मा डालकर पल्ला झाड़ लेने की प्रवृति केवल मौखिक तौर पर होती

क्षेत्रवासियों का कहना है कि यहां पर स्थिति खराब होने के पीछे तीन अलग-अलग विभागों के अधिकारियों की टालमटोल नीतियां भी हैं। हुडा, हाऊसिंग बोर्ड व निगम के अधिकारी एक-दूसरे विभाग की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों द्वारा एक-दूसरे विभाग पर जिम्मा डालकर पल्ला झाड़ लेने की प्रवृति केवल मौखिक तौर पर होती है। बल्कि सुनवाई के दौरान पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सामने भी यह प्रश्न उठा। जिस पर न्यायालय को कहना पड़ा कि सभी विभाग सरकार का ही हिस्सा हैं, आपस में बैठकर समाधान निकालें, यह दोषारोपण अब बंद होना चाहिए। निश्चित तौर पर उच्च न्यायालय के निर्देश आम जनता को राहत प्रदान करने वाले हैं। जिनकी अनुपालना को लेकर सरकार को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। 

हाईकोर्ट के ताजा आदेशों से जहां क्षेत्र के लोगों ने संतोष की सांस ली

पानीपत में स्थिति ये है कि जहां एक ओर मॉडल टाऊन, हुडा के सैक्टरों सहित कई कालोनियों में उच्च क्षमता बिजली की तारें मकानों के साथ सटकर गुजर रही हैं, वहीं कई कालोनियों में मकानों की छतों से गुजरती तारें आज भी मौजूद हैं। अक्सर जब भी हादसे होते हैं तो निगम के अधिकारी तारों को जल्द हटाने के दावे करते हैं, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ ये दावें हवा-हवाई होकर रह जाते हैं। बिजली निगम अधिकारियों की कार्यप्रणाली की पोल हाईकोर्ट में भी उस समय खुली जब वर्ष 2022 व 2025 में 33 केवी लाइनें हटाने के मामले ज्यों के त्यों मिले। जिस पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट के ताजा आदेशों से जहां क्षेत्र के लोगों ने संतोष की सांस ली है। 

न्यायालय द्वारा तीन सप्ताह की डैडलाइन तय की गई

वहीं इन आदेशों को अलमीजामा पहनाने वाले अधिकारी क्या धरातल पर भी लोगों को राहत प्रदान कर पाएंगे यह दूर की कौड़ी है। जिस प्रकार से न्यायालय द्वारा तीन सप्ताह की डैडलाइन तय की गई है। उससे बिजली निगम के अधिकारियों पर दबाव बनना तो स्वाभाविक है, लेकिन काम न करने के आदी हो चुके निगम के अधिकारी-कर्मचारी इस दबाव का कैसे सामना करते हैं। ये फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। शहर के लोगों का ये भी कहना है कि बाकी स्थानों पर तो बिजली निगम के अधिकारियों की लापरवाही समझ में आती है, लेकिन जिस इलाके सैक्टर-6 में लघु सचिवालय, बड़े अधिकारियों एवं रसूखदारों लोगों की कोठियां हैं। वहां पर ऐसी स्थिति होना पूरी तरह से समझ से परे हैं। क्या अधिकारियों को यह स्थिति दिखाई नहीं देती या फिर वे देखना ही नहीं चाहते हैं।

अब लोगों को हाईकोर्ट के आदेशों से राहत की उम्मीद बंधी

लोगों को हैरत तो इस बात को लेकर भी है कि प्रदेश के सबसे एक्टिव व तेजर्रार मंत्री अनिल विज के पास परिवहन के साथ-साथ बिजली विभाग भी है। जिनकी तूती पूरे हरियाणा में बोलती है। ऐसा क्या कारण रहा कि वे बिजली निगम के लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों पर नकेल डालने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। बहरहाल अब लोगों को हाईकोर्ट के आदेशों से राहत की उम्मीद बंधी है।

MORE NEWS

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?