नई दिल्ली, 28 मार्च (पीटीआई) राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने शुक्रवार को उच्च सदन में एक निजी सदस्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें “भविष्य मामलों की परिषद” (Council for Future Affairs – CFA) की स्थापना की मांग की गई।
कार्तिकेय शर्मा के कार्यालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह प्रस्तावित शीर्ष संस्था एक राष्ट्रीय स्तर की इकाई के रूप में कार्य करेगी, जिसका उद्देश्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्मॉल मॉड्यूलर न्यूक्लियर रिएक्टर्स जैसी उभरती हुई तकनीकों में भारत की प्रगति के लिए समन्वय करना, नवाचार को बढ़ावा देना और नेतृत्व करना होगा।
प्रस्तावित संकल्प में “भविष्य मामलों की परिषद” (CFA) को एक एकीकृत मंच के रूप में कल्पना की गई है, जो अनुसंधान, औद्योगिक विकास, नीतिगत रणनीति और वैश्विक सहयोग को जोड़ते हुए भारत को भविष्य की वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में केवल एक भागीदार नहीं, बल्कि एक अग्रणी शक्ति बनाने में सक्षम बनाएगा।
हरियाणा से स्वतंत्र सांसद शर्मा का यह प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा “भविष्य विभाग” (Department of Future) के गठन की घोषणा से प्रेरित है, जिससे हरियाणा ऐसा विभाग स्थापित करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने शासन में रणनीतिक दृष्टिकोण को संस्थागत रूप दिया है।
यह विभाग कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरी विकास और सततता जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एक थिंक टैंक, उत्प्रेरक और समन्वय केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
शर्मा ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रगतिशील शासन शैली की सराहना करते हुए कहा, “उनके दूरदर्शी नेतृत्व में हरियाणा भविष्य-केंद्रित शासन का एक राष्ट्रीय मॉडल बनकर उभरा है, जिसने दिखाया है कि राज्य कैसे राष्ट्रीय नीति नवाचार का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।”
सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की भी प्रशंसा की और कहा कि प्रस्तावित CFA, डिजिटल रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रधानमंत्री की परिवर्तनकारी दृष्टि का स्वाभाविक विस्तार है।
पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी ने जन धन योजना, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT), आधार-सक्षम सार्वजनिक वितरण प्रणाली और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जैसे ऐतिहासिक डिजिटल शासन पहलों का नेतृत्व किया है।
शर्मा ने कहा, “भविष्य मामलों की परिषद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रखी गई इस मजबूत नींव पर आगे निर्माण करेगी और भारत को अगली तकनीकी सीमाओं की ओर ले जाएगी — यह सुनिश्चित करते हुए कि हम न केवल इन परिवर्तनकारी तकनीकों के लिए तैयार हों, बल्कि उन्हें अपने राष्ट्रीय हितों और मूल्यों के अनुरूप आकार भी दें।”
संकल्प में यह भी प्रस्तावित किया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों पर केंद्रित “अनुसंधान और उत्पाद विकास परिषदें” (RPDCs) बनाई जाएं, जिन्हें बजटीय सहायता और वैश्विक भागीदारी से समर्थन मिले, ताकि शोध को व्यावसायिक उत्पादों में तेज़ी से बदला जा सके।
यह अनुशंसा की गई है कि CFA को सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करने वाली संस्था के रूप में स्थापित किया जाए ताकि मंत्रालयों के बीच बेहतर समन्वय और उच्च-स्तरीय कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।