करनाल-इशिका ठाकुर India News (इंडिया न्यूज), Fiji Virus In Paddy : हरियाणा के कई जिलों में धान की फसल पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। हाल ही में फीजी वायरस नामक एक संक्रामक बीमारी ने पूरे इलाके में धान की फसल को व्यापक रूप से नुकसान पहुँचाया है। इस वायरस के कारण धान के पौधे बौने हो गए हैं। जिसकारण उत्पादन पूरी तरह चौपट हो सकता है इसीलिए किसान अपनी खड़ी फसल को नष्ट करने के लिए मज़बूर है। इससे किसान संकट में हैं और कई जगहों पर मजबूरन अपनी फसल नष्ट करके दोबारा रोपाई करनी पड़ रही है, जिससे उन्हें दोहरी आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है।
क्या होता है फिजी वायरस, कैसे करें इसकी पहचान
डॉ सुरेश कुमार कृषि विशेषज्ञ कर्नल ने बताया कि धान के खेत में कुछ पौधे छोटे बौने रह जाते हैं । यह फिजी वायरस के कारण होते हैं । साधारण भाषा में इसको फिजी वायरस के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसका साइंटिफिक नाम सदर्न राइस ब्लैक स्टिक्ड ड्वार्फ वायरस है। यह 2022 में भी हरियाणा के कुछ जिलों में देखा गया था 3 साल बाद एक बार फिर से वायरस किसानों के खेत में 5% से लेकर कहीं-कहीं पर 10 से 15 परसेंट भी देखा गया है। इसमें पौधा छोटा रह जाता है जिससे उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है।
कैसे आता है यह वायरस
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि फिजी नामक वायरस धान के खेत में व्हाइट बेक्ड प्लांट होपर नामक कीट के द्वारा फैलता है। उन्होंने कहा कि इस किट के कारण ही पौधे को इस वायरस का संक्रमण होता है, क्योंकि यह यह किट पौधों का रस चूसता है। जिसे यह वाइरस पौधों में फैल जाता है और इस वायरस के कारण पौधे छोटे बौने रह जाते हैं। इस कीट पर नियंत्रण पाना जरूरी है तभी इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस वजह से अगर किसान को नुकसान होता है तो उसके लिए किसी भी प्रकार का फिलहाल मुआवजे का कोई भी प्रावधान नहीं है।
कैसे करें फिजी वायरस से बचाव
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि धान की फसल में फिजी वायरस काफी स्थानों पर रिपोर्ट किया गया है । जिसे किसान काफी चिंतित है इसके लिए किसान अपने खेत में डायनोटेफ़्यूरान दवाई अपने खेत में डाल सकते हैं इससे इस पर नियंत्रण पा सकते हैं। हालांकि इस पर सिर्फ नियंत्रण पाया जा सकता है ताकि इसे आगे बढ़ने से रोका जा सके लेकिन इसको खत्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जिस खेत में ज्यादा है तो किसान वहां पर पौधे उखाड़ के बाहर भी फेंक सकते हैं जिससे वह किसी दूसरे पौधे को संक्रमित ना कर सके और इसके साथ ही समय-समय पर अपने खेत को निगरानी करते रहे और खेतों में आसपास सफाई रखें।