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कम उम्र में बड़ा सपना : पढ़ाई के साथ-साथ कथक नृत्य में चार वर्षीय कोर्स कर रही 16 वर्षीय असमी, कहा- दृढ़ निश्चय हो तो पढ़ाई और कला दोनों में संतुलन संभव

आज जहां अधिकांश किशोर मोबाइल और सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं, वहीं पानीपत के मॉडल टाउन की 16 वर्षीय असमी ने अपनी मेहनत और लगन से एक नई मिसाल कायम की है। असमी पढ़ाई के साथ-साथ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से चार वर्षीय कथक नृत्य का कोर्स कर रही है। इसके साथ ही उसने 10वीं कक्षा में 93.2 प्रतिशत अंक प्राप्त कर यह सिद्ध किया है कि यदि दृढ़ निश्चय हो, तो पढ़ाई और कला दोनों में संतुलन संभव है। असमी का मानना है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है। जब तक कोई बच्चा अपनी रचनात्मकता, कला, अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास को विकसित नहीं करता, तब तक उसकी शिक्षा अधूरी है।

Written By: Anurekha Lambra
Last Updated: July 28, 2025 17:52:58 IST

India News (इंडिया न्यूज), Panipat News : आज जहां अधिकांश किशोर मोबाइल और सोशल मीडिया में व्यस्त रहते हैं, वहीं पानीपत के मॉडल टाउन की 16 वर्षीय असमी ने अपनी मेहनत और लगन से एक नई मिसाल कायम की है। असमी पढ़ाई के साथ-साथ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से चार वर्षीय कथक नृत्य का कोर्स कर रही है।

इसके साथ ही उसने 10वीं कक्षा में 93.2 प्रतिशत अंक प्राप्त कर यह सिद्ध किया है कि यदि दृढ़ निश्चय हो, तो पढ़ाई और कला दोनों में संतुलन संभव है। असमी का मानना है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है। जब तक कोई बच्चा अपनी रचनात्मकता, कला, अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास को विकसित नहीं करता, तब तक उसकी शिक्षा अधूरी है।

क्लासिकल डांस के साथ पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना आसान नहीं होता

इसी सोच ने उसे पारंपरिक भारतीय नृत्य कथक की ओर आकर्षित किया। कथक केवल एक नृत्य नहीं, बल्कि यह अनुशासन, ताल, लय और भावनाओं के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। क्लासिकल डांस के साथ पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना आसान नहीं होता, लेकिन असमी ने दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाकर यह दिखा दिया कि अगर लगन सच्ची हो तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं। आज असमी अपनी मेहनत, अनुशासन और समर्पण से न केवल एक कुशल छात्रा है, बल्कि एक प्रशिक्षित कथक नृत्यांगना बनने की दिशा में अग्रसर है।

परिवार का सहयोग बना शक्ति का स्तंभ

असमी को यह मुकाम हासिल करने में अपने परिवार का पूरा सहयोग मिला। उनके पिता पंकज दुआ एक व्यवसायी हैं, जबकि माता आरती एक गृहिणी हैं, जिन्होंने हमेशा बेटी की पढ़ाई और कला के प्रति झुकाव को प्रोत्साहित किया। असमी का बड़ा भाई असमी भी उसका मार्गदर्शन और हौसला बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।

असमी का बच्चों के लिए संदेश

“हर बच्चे के भीतर कोई न कोई प्रतिभा छिपी होती है। जरूरी है कि हम उसे पहचानें और उसे निखारें। पढ़ाई के साथ-साथ अपनी रुचि के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहिए। मैं चाहती हूं कि सभी बच्चे अपने अंदर के कलाकार को पहचाने, खुद पर विश्वास रखें और हर मुश्किल का सामना आत्मविश्वास से करें। अगर दिल से कोशिश करो तो कोई भी मंच दूर नहीं होता।”

जिला संरक्षण अधिकारी रजनी ने कहा

“असमी जैसी बच्चियां समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनकी कहानी हमें बताती है कि बच्चों को अगर सही माहौल, सहयोग और प्रोत्साहन मिले तो वे पढ़ाई और कला दोनों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। हमें ऐसे उदाहरणों को सामने लाना चाहिए ताकि अन्य बच्चे भी प्रेरणा ले सकें।” असमी आज की युवा पीढ़ी के लिए एक सशक्त उदाहरण है कि उम्र चाहे जो भी हो, अगर मन में जज्बा हो तो पढ़ाई और कला दोनों में उत्कृष्टता प्राप्त की जा सकती है।

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